Land Registry 2025 – “सरकार का बड़ा फैसला 2025: अब Land Registry के नए नियम में पत्नी के नाम ज़मीन पर लगेगी पाबंदी – जानें डिटेल्स” विषय पर हालिया मसौदा दिशानिर्देशों ने देशभर में बहस छेड़ दी है। प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, बेनामी लेन-देन और फर्जी रजिस्ट्री को रोकने के लिए पति-पत्नी के नाम पर होने वाली संपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया कड़ी की जा सकती है। नया ढांचा वैवाहिक संपत्ति के दुरुपयोग, कालाधन की एंट्री और टैक्स बचत के लिए होने वाले ट्रांसफर पर निगरानी बढ़ाने की बात करता है। इसमें “स्रोत-धन प्रमाण”, “वैवाहिक सहमति” और “परिवारिक लाभार्थी घोषणा” जैसे अतिरिक्त दस्तावेजों की माँग संभावित है। साथ ही, संयुक्त स्वामित्व (Joint Ownership) को प्रोत्साहन और एकल नाम पर रजिस्ट्री में सख़्त जांच का संकेत दिया गया है। नीति निर्माताओं का तर्क है कि इससे महिलाओं के नाम पर दिखावटी खरीदारी रुक सकेगी और असली अधिकार सुरक्षित होंगे; जबकि आलोचक इसे महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता पर संभावित प्रभाव मानते हैं।

नए नियम में क्या बदल सकता है: मुख्य पॉइंट्स, सत्यापन और पाबंदियों का स्वरूप
मसौदा ढांचे के अनुसार, रजिस्ट्री से पहले KYC-Plus सत्यापन, वैवाहिक स्थिति का प्रमाण, और फंड-ट्रेल की डिजिटल जाँच अनिवार्य की जा सकती है। यदि संपत्ति पत्नी के नाम पर दर्ज कराई जा रही हो, तो खरीदार को यह स्पष्ट करना होगा कि भुगतान का स्रोत किसका है—पति, पत्नी या संयुक्त आय। परिवारिक लाभार्थी घोषणा में यह बताना आवश्यक हो सकता है कि संपत्ति परिवार के उपयोग हेतु है या निवेश/व्यवसाय के लिए। उच्च-मूल्य सौदों में “एन्हांस्ड ड्यू डिलिजेंस” के तहत IT-रिटर्न सार, बैंक स्टेटमेंट और गिफ्ट-डीड की प्रामाणिकता देखी जाएगी। प्रस्तावित पाबंदियाँ “बेनामी एंगल” दिखने पर लागू होंगी—जैसे आय-अनुपात से परे खरीद, नकद उधार, या संदिग्ध दाता। उल्लंघन पर रजिस्ट्री रोक, जुर्माना, और केस-रीओपन जैसे कदम संभव हैं। साथ ही, वास्तविक संयुक्त स्वामित्व, गृहिणी की वैध बचत या पारिवारिक उपहार के पारदर्शी दस्तावेज़ होने पर रजिस्ट्री सामान्य रूप से चलती रहेगी,
दस्तावेज़ और प्रक्रिया: पत्नी के नाम रजिस्ट्री से पहले क्या-क्या तैयार रखें
खरीदारों को पहचान प्रमाण (आधार/पासपोर्ट), पते का प्रमाण, विवाह प्रमाणपत्र/शपथपत्र, और फंड-सोर्स डॉक्यूमेंट पहले से तैयार रखने चाहिए। यदि धन पति द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है, तो बैंक ट्रांसफ़र रिकॉर्ड, गिफ्ट-डीड/लोन-एग्रीमेंट और आयकर रिटर्न का सार उपयोगी होगा। पत्नी की आय से खरीद है तो सैलरी स्लिप, व्यवसायिक आय प्रमाण, या निवेश रिडेम्प्शन स्टेटमेंट सहायक बनेंगे। संयुक्त खरीद में दोनों पक्षों की KYC, साझेदारी अनुपात (50:50/अन्य), EMI दायित्व और नॉमिनी डिटेल्स साफ़ लिखें। स्टांप ड्यूटी/रजिस्ट्रेशन फीस की डिजिटल रसीदें और Encumbrance Certificate पहले डाउनलोड करें।
किस पर पड़ेगा असर: महिलाओं की संपत्ति सुरक्षा, ग्रामीण-शहरी खरीदार, और जॉइंट ओनरशिप
सबसे बड़ा प्रभाव उन सौदों पर होगा जहाँ पत्नी के नाम संपत्ति केवल कर-बचत या बेनामी शेल्टर के रूप में चुनी जाती थी। वास्तविक empowerment वाले मामलों—जैसे कार्यरत महिला, गृहिणी की सहेजी गई बचत, या पारिवारिक सुरक्षा हेतु संयुक्त घर—को पारदर्शी दस्तावेज़ों के साथ लाभ मिलता रहेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ नकद लेन-देन अधिक है, फंड-ट्रेल बनाना चुनौती हो सकता है; इसलिए बैंकिंग चैनल और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना बुद्धिमानी है। शहरी निवेशकों को गिफ्ट-डीड/लोन-डॉक्यूमेंट का सही ड्राफ्टिंग करानी चाहिए। संयुक्त स्वामित्व से उत्तराधिकार विवाद घटते हैं, इसलिए 50:50 या आवश्यक अनुपात में क्लियर टाइटल लिखवाना अच्छा है। गृह-ऋण लेने वालों के लिए,
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तैयारी की चेकलिस्ट, अनुपालन रणनीति और संभावित टाइमलाइन: अभी क्या करें
सबसे पहले, अपनी खरीद का उद्देश्य, फंड-सोर्स और लाभार्थी स्पष्ट लिखित नोट में तैयार करें। दूसरा, बैंकिंग ट्रेल को मजबूत रखें—बड़े कैश डिपॉज़िट या थर्ड-पार्टी ट्रांसफ़र से बचें। तीसरा, उपहार/ऋण दस्तावेज़ स्टाम्प पेपर पर, सही वैल्यूएशन और टैक्स-इम्प्लिकेशन के साथ रजिस्टर कराएँ। चौथा, टाइटल सर्च, EC, म्युटेशन रिकॉर्ड और बिल्डर/सेलर की वैधता की लॉ-ड्यू-डिलिजेंस कराएँ।
