श्रीमद् भगवद् गीता: जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ Pdf ebook पढ़ी और लोगो को प्रेरित करो

श्रीमद् भगवद् गीता के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. 700 श्लोकों का संग्रह:

   गीता में कुल 700 श्लोक हैं, जिन्हें 18 अध्यायों में विभाजित किया गया है। ये श्लोक भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं।

2. महाभारत का हिस्सा:

   श्रीमद् भगवद् गीता महाभारत के भीष्म पर्व का एक अंश है। यह अर्जुन के युद्ध क्षेत्र में उत्पन्न संशय और भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए ज्ञान पर आधारित है।

3. तीन योगों का उल्लेख:

   गीता में तीन मुख्य योगों का वर्णन किया गया है—कर्मयोग (कर्तव्य का मार्ग), भक्तियोग (भक्ति का मार्ग), और ज्ञानयोग (ज्ञान का मार्ग)। ये तीनों योग जीवन के अलग-अलग पहलुओं को संतुलित करने के लिए हैं।

4. 18 अध्यायों का विभाजन:

   भगवद् गीता को 18 अध्यायों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक अध्याय को “योग” कहा गया है। ये अध्याय जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

5. प्राचीनतम ज्ञान

   गीता का ज्ञान प्राचीन काल से चला आ रहा है और इसे कालजयी माना जाता है। यह हर युग में प्रासंगिक है और आज भी लोगों को जीवन जीने की कला सिखाता है।

6. संपूर्ण मानवता के लिए: 

   गीता का संदेश किसी एक धर्म या जाति तक सीमित नहीं है। यह संपूर्ण मानवता के लिए है और इसे जीवन का सार्वभौमिक सत्य माना जाता है।

7. अनगिनत भाषाओं में अनुवाद

   भगवद् गीता का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है, जिससे यह विश्वभर में लोकप्रिय हुआ है। इसे हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य संस्कृतियों में भी व्यापक रूप से पढ़ा और समझा जाता है।

8. श्रीमद् भगवद् गीता की लोकप्रियता:

   यह न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि इसे प्रबंधन, नेतृत्व, और नैतिकता के संदर्भ में भी पढ़ाया जाता है। कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में इसे अध्ययन के रूप में शामिल किया गया है।

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श्रीमद्भगवद्गीता के प्रसिद्ध श्लोक और उनके अर्थ:

श्लोक: कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।    मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥” (2.47)

 अर्थ: “तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए कर्म के फल की इच्छा छोड़कर कर्म करो।”

श्लोक:प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रहं किमुच्छते। न हि देहभृद्कश्चिद्धुःखं प्राप्नुयात् कष्टम्॥” (13.20)

अर्थ :”सभी प्राणियों की प्रवृत्ति प्रकृति द्वारा संचालित होती है, इसलिए दुःख से छुटकारा पाने का कोई उपाय नहीं है।”

श्लोक:”योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।   सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥” (2.48)

 अर्थ:हे धनञ्जय! योग में स्थिर होकर कर्म करो और सफलता-असफलता की चिंता छोड़ दो। इस स्थिति को समत्व कहते हैं।

श्लोक:उद्धरेत् आत्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।  आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥” (6.5)

अर्थ:आत्मा को आत्मा द्वारा ही उन्नत करें। आत्मा को ही नीचा न गिराएँ, आत्मा स्वयं का मित्र भी है और शत्रु भी।”

 

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भगवान कृष्ण ज्ञान
भगवान कृष्ण ने दिया जीवन का महान उपदेश, निष्काम कर्मयोग है सुख का सच्चा प्रवेश। संसार की माया में न फँसना है हमें, कर्तव्य पालन में ही मोक्ष का मार्ग है गहन। सच्चे प्रेम और भक्ति से भगवान को पाना है, कृष्ण के ज्ञान में ही जीवन का सच्चा ठिकाना है।
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श्रीकृष्ण ने गीता में सत्य का मार्ग दिखाया, धर्म, कर्म, और भक्ति का अद्भुत ज्ञान सिखाया। संकटों में भी धैर्य न खोने की दी सीख, हर परिस्थिति में मन को शांत रखने की दी दिशा ठीक। जीवन की उलझनों को समझा कर्मयोग के सूत्र से, मुक्ति और मोक्ष का मार्ग बताया ज्ञान और भक्ति के साथ।
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भगवान कृष्ण ज्ञान
कृष्ण ने अर्जुन को धर्म का सही अर्थ बताया, सच्चे कर्म से ही जीवन का लक्ष्य समझाया। माया से परे आत्मा की शाश्वतता का दिया ज्ञान, अहंकार और मोह से मुक्त होने का किया आवाहन। समर्पण और भक्ति में जीवन की सच्ची राह दिखाई, कृष्ण के उपदेशों में हर जिज्ञासु को मुक्ति की बात सुनाई।
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भगवान कृष्ण ज्ञान
श्रीकृष्ण ने दिया प्रेम और करुणा का संदेश, द्वेष, अहंकार को त्यागने का किया उपदेश। धर्म के मार्ग पर चलने का हमें किया निर्देश, सभी के प्रति दया और सहानुभूति का दिया निवेश। गोपियों संग रास में, भक्ति का अद्भुत खेल दिखाया, और गीता के ज्ञान से जीवन का सत्य बताया।
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भगवान कृष्ण ज्ञान
कृष्ण ने जीवन को समझने का मार्ग दिखाया, हर कर्म में ईश्वर को अर्पित करने का भाव बताया। प्रेम और भक्ति में है जीवन का सच्चा अर्थ, हर जीव में भगवान का रूप पहचानो इस धरती पर। संगीत और रास में छिपी है भक्ति की मिठास, कृष्ण के चरणों में ही है सच्ची शांति और प्रकाश।
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Bhagwat Geeta

श्रीमद् भगवद् गीता पढ़ने का सही तरीका

01 शुद्ध स्थान और समय का चयन

गीता का पाठ करते समय एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें। सुबह का समय, विशेषकर ब्रह्ममुहूर्त, गीता पढ़ने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि उस समय मन और वातावरण दोनों ही शुद्ध होते हैं।

02 अध्याय दर अध्याय पढ़ें

गीता के 18 अध्यायों को क्रमबद्ध तरीके से पढ़ें। हर अध्याय के बाद, उसके संदेश और शिक्षाओं पर विचार करें। इसे धीरे-धीरे पढ़ें, ताकि आप हर श्लोक के अर्थ को समझ सकें।

03 अनुवाद और टीका का सहारा लें:

यदि आप संस्कृत श्लोकों को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं, तो गीता के अनुवाद और टीका का सहारा लें। अनेक विद्वानों ने गीता की टीका और सरल भाषा में व्याख्या की है, जो समझने में सहायक हो सकती है।

04 मन की शुद्धि और एकाग्रता:

गीता का पाठ करने से पहले, मन को शांत और एकाग्र करना आवश्यक है। आप पूजा या ध्यान के माध्यम से अपने मन को शुद्ध कर सकते हैं, जिससे गीता के श्लोकों का सही अर्थ और संदेश समझ में आएगा।

श्रीमद् भगवद् गीता: एक आध्यात्मिक धरोहर

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श्रीमद् भगवद् गीता: अध्यायों की सूची और उनका सार

भगवद् गीता के अध्याय और उनके नाम:

प्रथम अध्याय:अर्जुनविषादयोग (Arjuna’s Despondency)
द्वितीय अध्याय: सांख्ययोग (Transcendental Knowledge)
तृतीय अध्याय: कर्मयोग (Path of Selfless Service)
चतुर्थ अध्याय: ज्ञानकर्मसंन्यासयोग (Path of Knowledge and Renunciation of Action)
पंचम अध्याय: कर्मसंन्यासयोग (Path of Renunciation)
षष्ट अध्याय: आत्मसंयमयोग (Path of Self-Control)
सप्तम अध्याय: ज्ञानविज्ञानयोग (Path of Knowledge and Wisdom)
अष्टम अध्याय: अक्षरब्रह्मयोग (Path of the Imperishable Absolute)
नवम अध्याय: राजविद्याराजगुह्ययोग (Path of Royal Knowledge and Royal Secret)
दशम अध्याय:विभूतियोग (Path of Divine Glories)
एकादश अध्याय: विश्वरूपदर्शनयोग (Path of the Vision of the Universal Form)
द्वादश अध्याय: भक्तियोग (Path of Devotion)
त्रयोदश अध्याय: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग (Path of the Field and the Knower of the Field)
चतुर्दश अध्याय: गुणत्रयविभागयोग (Path of the Division of the Three Gunas)
पंचदश अध्याय: पुरुषोत्तमयोग (Path of the Supreme Person)
षोडश अध्याय: दैवासुरसम्पद्विभागयोग (Path of the Division between the Divine and the Demonic)
सप्तदश अध्याय: श्रद्धात्रयविभागयोग (Path of the Threefold Faith)
अष्टादश अध्याय: मोक्षसंन्यासयोग (Path of Liberation and Renunciation)

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