CIBIL Score New Rule – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है जो लाखों ऐसे लोगों को राहत देगा जो अब तक खराब CIBIL स्कोर की वजह से लोन पाने से वंचित रह जाते थे। RBI के नए नियम के तहत अब CIBIL स्कोर कम होने के बावजूद लोन पाने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। यह फैसला खास तौर पर उन युवाओं, नए नौकरीपेशा लोगों, या स्वरोजगार से जुड़े व्यक्तियों के लिए लाभकारी है जिनके पास पहले से कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है या जिनका स्कोर किसी कारणवश खराब हो गया है। यह कदम देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। इस बदलाव से न केवल अधिक लोग औपचारिक बैंकिंग सिस्टम से जुड़ पाएंगे, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, बैंक और NBFC अब केवल CIBIL स्कोर पर आधारित जोखिम मूल्यांकन के बजाय वैकल्पिक डेटा और अन्य व्यवहारिक संकेतकों पर ध्यान दे सकेंगे।

खराब CIBIL स्कोर पर अब लोन नहीं रुकेगा – RBI का नया फैसला भारतीयों के लिए राहत
भारतीय नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है क्योंकि RBI ने बैंकिंग सिस्टम में लोन अप्रूवल प्रक्रिया को और लचीला बना दिया है। पहले जहां CIBIL स्कोर 750 से कम होने पर लोन मिलने में दिक्कतें आती थीं, अब बैंक और NBFC अन्य फैक्टर्स को भी महत्व देंगे। इसमें आपके डिजिटल लेन-देन का रिकॉर्ड, नियमित EMI भुगतान, और बैंकिंग व्यवहार जैसे पहलुओं को भी शामिल किया जा सकता है। खासकर उन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लोग क्रेडिट स्कोर की तकनीकी जानकारी से दूर हैं, वहां यह बदलाव क्रांतिकारी साबित हो सकता है।

युवा और स्वरोजगार करने वालों को मिलेगा सीधा फायदा – CIBIL स्कोर नहीं बनेगा बाधा
अब तक का सिस्टम युवा और नए स्वरोजगार शुरू करने वालों के लिए काफी कठिन रहा है, क्योंकि उनके पास अक्सर पुराना क्रेडिट रिकॉर्ड नहीं होता। लेकिन RBI के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार अब ऐसे लोगों को भी लोन मिल सकेगा जो पहली बार कर्ज लेने का प्रयास कर रहे हैं। बैंक अब वैकल्पिक डेटा जैसे कि मोबाइल बिल भुगतान, यूटिलिटी बिल, और डिजिटल भुगतान इतिहास को आधार बनाकर जोखिम का मूल्यांकन कर सकेंगे। इससे उन लोगों के लिए अवसर खुलेगा जो मेहनती हैं लेकिन तकनीकी रूप से कमजोर क्रेडिट स्कोर के कारण पीछे रह जाते थे। खासकर स्टार्टअप्स, ग्रामीण उद्यमी और फ्रीलांसर वर्ग को इससे सीधा फायदा मिलेगा।
CIBIL स्कोर सिस्टम में बदलाव की ज़रूरत क्यों पड़ी?
CIBIL स्कोर एक व्यक्ति की क्रेडिट योग्यता का आकलन करने का तरीका है, लेकिन यह हमेशा पूरी सच्चाई नहीं दिखाता। कई बार तकनीकी कारणों, गलत रिपोर्टिंग या पुरानी जानकारी की वजह से लोगों का स्कोर गिर जाता है, जबकि उनकी भुगतान करने की क्षमता बनी रहती है। यही वजह है कि RBI ने महसूस किया कि केवल एक स्कोर के आधार पर किसी को लोन देने या न देने का निर्णय लेना न्यायसंगत नहीं है। इसके अलावा, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लाखों लोग अब भी क्रेडिट स्कोरिंग सिस्टम से बाहर हैं।
नए नियम का असर: बैंक कैसे करेंगे मूल्यांकन?
अब बैंक और वित्तीय संस्थान केवल CIBIL स्कोर पर भरोसा नहीं करेंगे, बल्कि अन्य डेटा स्रोतों जैसे कि डिजिटल लेनदेन रिकॉर्ड, नियमित बिल भुगतान, मोबाइल रिचार्ज की निरंतरता और फिक्स्ड डिपॉजिट या सेविंग अकाउंट की गतिविधियों को भी देखेंगे। इससे बैंकों को एक व्यापक चित्र मिलेगा कि कोई ग्राहक वास्तव में भुगतान करने में सक्षम है या नहीं। इससे एक पारदर्शी, व्यवहारिक और समावेशी लोन अप्रूवल सिस्टम तैयार होगा। यह बदलाव MSME सेक्टर के लिए भी वरदान साबित हो सकता है, जहां अक्सर छोटे कारोबारियों को स्कोर न होने के कारण फाइनेंस नहीं मिल पाता।