ॐ जय जगदीश हरे आरती || aarti om jai jagdish pdf ||भक्ति और आस्था की अद्वितीय मिसाल

rajmona369@gmail.com By rajmona369@gmail.com

||aarti om jai jagdish hare ||

“ॐ जय जगदीश हरे” एक लोकप्रिय हिंदू आरती है जो भगवान विष्णु की आराधना के लिए गाई जाती है। यहाँ इस आरती के शब्द हैं:

om jagdish hare aarti lyrics 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का।

स्वामी दुःख बिनसे मन का।

सुख संपत्ति घर आवे, सुख संपत्ति घर आवे,

कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, प्रभु बिन और न दूजा,

आस करूं मैं जिसकी॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।

स्वामी तुम अंतर्यामी।

परमेश्वर परमेश्वर, परमेश्वर परमेश्वर,

तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।

स्वामी तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी,

कृपा करो भगवन्॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,

तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

दीनबन्धु दुःख हरता, तुम हो मेरे माते।

स्वामी तुम हो मेरे माते।

कृपा करो भगवन्, कृपा करो भगवन्,

रक्षक तुम मेरे॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देव।

स्वामी पाप हरो देव।

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

संतन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश हर

Contents
||aarti om jai jagdish hare ||“ॐ जय जगदीश हरे” एक लोकप्रिय हिंदू आरती है जो भगवान विष्णु की आराधना के लिए गाई जाती है। यहाँ इस आरती के शब्द हैं:om jagdish hare aarti lyrics ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे॥जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का।स्वामी दुःख बिनसे मन का।सुख संपत्ति घर आवे, सुख संपत्ति घर आवे,कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे॥मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।तुम बिन और न दूजा, प्रभु बिन और न दूजा,आस करूं मैं जिसकी॥ ॐ जय जगदीश हरे॥तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।स्वामी तुम अंतर्यामी।परमेश्वर परमेश्वर, परमेश्वर परमेश्वर,तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश हरे॥तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।स्वामी तुम पालनकर्ता।मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी,कृपा करो भगवन्॥ ॐ जय जगदीश हरे॥तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।स्वामी सबके प्राणपति।किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे॥दीनबन्धु दुःख हरता, तुम हो मेरे माते।स्वामी तुम हो मेरे माते।कृपा करो भगवन्, कृपा करो भगवन्,रक्षक तुम मेरे॥ ॐ जय जगदीश हरे॥विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देव।स्वामी पाप हरो देव।श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,संतन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश हरयह aarti om jai jagdish विशेष रूप से भगवान विष्णु की स्तुति के लिए गाई जाती है और इसे गाने से भक्तों को मानसिक शांति, भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।kunj bihari arti – आरती जगदीश जी की: एक दिव्य आरती की महिमा

यह aarti om jai jagdish विशेष रूप से भगवान विष्णु की स्तुति के लिए गाई जाती है और इसे गाने से भक्तों को मानसिक शांति, भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

kunj bihari arti – आरती जगदीश जी की: एक दिव्य आरती की महिमा

Share This Article
3 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Russian independent call girl. Comedy labs : combing improv classes & stand up classes to make the comedy workshop.