108 gayatri mantr : गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है, जिसकी महत्ता ॐ के बराबर मानी जाती है। इसे केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। यह मंत्र यजुर्वेद के ‘भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है, जिसमें सवितृ देव की उपासना की जाती है। इसीलिए इसे ‘सावित्री मंत्र’ भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र की शक्ति और महत्ता को समझने से ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है, और इस मंत्र का जाप व्यक्ति के जीवन में असीम शांति और ऊर्जा का संचार करता है।
गायत्री मंत्र का अर्थ और महत्व
गायत्री मंत्र का शाब्दिक अर्थ अत्यंत गहन और आध्यात्मिक है। इस मंत्र के माध्यम से, हम परमात्मा के उस स्वरूप को धारण करते हैं जो सुखस्वरूप, दुःखनाशक, पापनाशक, और तेजस्वी है। इस मंत्र का मुख्य उद्देश्य हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करना है, ताकि हम सही निर्णय ले सकें और अपने जीवन को सन्मार्ग पर ले जा सकें।
गायत्री मंत्र का उच्चारण इस प्रकार है:
**ॐ भूर्भुवः स्वः**
**तत्स॑वि॒तुर्वरे॑ण्यं॒**
**भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।**
**धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥**
इस मंत्र में 24 अक्षर होते हैं, जो चौबीस शक्तियों और सिद्धियों के प्रतीक हैं। इसे नियमित रूप से जपने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ नहीं आतीं और मानसिक शांति के साथ-साथ बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।
गायत्री मंत्र की उपासना विधि
गायत्री मंत्र की उपासना विधि अत्यंत सरल है। प्रतिदिन शौच-स्नान से निवृत्त होकर, नियत स्थान और समय पर सुखासन में बैठकर इस मंत्र का जाप करना आवश्यक माना गया है। तीन माला गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, ब्रह्म सन्ध्या का भी महत्त्व है, जो शरीर और मन की शुद्धि के लिए की जाती है। इसमें पाँच कृत्य शामिल हैं: पवित्रीकरण, आचमन, शिखा स्पर्श एवं वन्दन, प्राणायाम, और ध्यान।
प्राणायाम का अभ्यास करने से श्वास के माध्यम से प्राण शक्ति और श्रेष्ठता अंदर खींची जाती है, और दुर्गुणों का विसर्जन होता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाती है।
गायत्री मंत्र की दिव्यता
गायत्री मंत्र का दिव्य स्वरूप भी महत्वपूर्ण है। इसे देवी गायत्री के स्त्री रूप में पूजा जाता है, जिन्हें सत्य लोक का वास माना गया है। वेद और कमंडल उनके अस्त्र हैं और ब्रह्मा उनके जीवनसाथी। यह देवी हंस पर सवार होती हैं, जो ज्ञान और शुद्धि का प्रतीक है।
उपसंहार
गायत्री मंत्र केवल एक साधारण मंत्र नहीं है; यह आत्मा की गहराई से जुड़ा एक शक्तिशाली साधन है, जो व्यक्ति को जीवन के सभी पहलुओं में सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसे रोजाना जपने से न केवल आध्यात्मिक बल मिलता है, बल्कि मानसिक शांति, बौद्धिक क्षमता, और जीवन की समग्रता में वृद्धि होती है। इस मंत्र की महत्ता समझना और इसे जीवन में उतारना प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है।
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108 gayatri mantr : गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है, जिसकी महत्ता ॐ के बराबर मानी जाती है। इसे केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। यह मंत्र यजुर्वेद के ‘भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है, जिसमें सवितृ देव की उपासना की जाती है। इसीलिए इसे ‘सावित्री मंत्र’ भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र की शक्ति और महत्ता को समझने से ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है, और इस मंत्र का जाप व्यक्ति के जीवन में असीम शांति और ऊर्जा का संचार करता है।गायत्री मंत्र का अर्थ और महत्वगायत्री मंत्र का शाब्दिक अर्थ अत्यंत गहन और आध्यात्मिक है। इस मंत्र के माध्यम से, हम परमात्मा के उस स्वरूप को धारण करते हैं जो सुखस्वरूप, दुःखनाशक, पापनाशक, और तेजस्वी है। इस मंत्र का मुख्य उद्देश्य हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करना है, ताकि हम सही निर्णय ले सकें और अपने जीवन को सन्मार्ग पर ले जा सकें।गायत्री मंत्र का उच्चारण इस प्रकार है:**ॐ भूर्भुवः स्वः****तत्स॑वि॒तुर्वरे॑ण्यं॒****भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।****धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥**इस मंत्र में 24 अक्षर होते हैं, जो चौबीस शक्तियों और सिद्धियों के प्रतीक हैं। इसे नियमित रूप से जपने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ नहीं आतीं और मानसिक शांति के साथ-साथ बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।गायत्री मंत्र की उपासना विधिगायत्री मंत्र की उपासना विधि अत्यंत सरल है। प्रतिदिन शौच-स्नान से निवृत्त होकर, नियत स्थान और समय पर सुखासन में बैठकर इस मंत्र का जाप करना आवश्यक माना गया है। तीन माला गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, ब्रह्म सन्ध्या का भी महत्त्व है, जो शरीर और मन की शुद्धि के लिए की जाती है। इसमें पाँच कृत्य शामिल हैं: पवित्रीकरण, आचमन, शिखा स्पर्श एवं वन्दन, प्राणायाम, और ध्यान।प्राणायाम का अभ्यास करने से श्वास के माध्यम से प्राण शक्ति और श्रेष्ठता अंदर खींची जाती है, और दुर्गुणों का विसर्जन होता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाती है।गायत्री मंत्र की दिव्यतागायत्री मंत्र का दिव्य स्वरूप भी महत्वपूर्ण है। इसे देवी गायत्री के स्त्री रूप में पूजा जाता है, जिन्हें सत्य लोक का वास माना गया है। वेद और कमंडल उनके अस्त्र हैं और ब्रह्मा उनके जीवनसाथी। यह देवी हंस पर सवार होती हैं, जो ज्ञान और शुद्धि का प्रतीक है।उपसंहारगायत्री मंत्र केवल एक साधारण मंत्र नहीं है; यह आत्मा की गहराई से जुड़ा एक शक्तिशाली साधन है, जो व्यक्ति को जीवन के सभी पहलुओं में सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसे रोजाना जपने से न केवल आध्यात्मिक बल मिलता है, बल्कि मानसिक शांति, बौद्धिक क्षमता, और जीवन की समग्रता में वृद्धि होती है। इस मंत्र की महत्ता समझना और इसे जीवन में उतारना प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है।The Gayatri Mantra in English (Romanized):Om Bhur Bhuvah SwahTat Savitur VarenyamBhargo Devasya DheemahiDhiyo Yo Nah PrachodayatTranslation and Meaning:– **Om Bhur Bhuvah Swah:** “Om” is the primordial sound, the sound of the universe. “Bhur” represents the physical realm (Earth), “Bhuvah” represents the mental realm (Atmosphere), and “Swah” represents the celestial realm (Heavens).– **Tat Savitur Varenyam:** “Tat” means “that,” referring to the Supreme Being. “Savitur” refers to the Sun or the divine light and energy. “Varenyam” means “adored” or “worthy of worship.”– **Bhargo Devasya Dheemahi:** “Bhargo” means “radiance” or “divine light.” “Devasya” refers to “of the deity.” “Dheemahi” means “we meditate upon.”– **Dhiyo Yo Nah Prachodayat:** “Dhiyo” means “intellect” or “understanding.” “Yo” means “who.” “Nah” means “our.” “Prachodayat” means “may inspire” or “guide.”Full Meaning:“We meditate on the divine light of the Supreme Being who has created the physical, mental, and spiritual realms. May that divine light inspire and guide our intellect and understanding.”Significance:The Gayatri Mantra is a universal prayer that transcends religions and sects. It is a call to the divine for enlightenment and guidance. Reciting this mantra regularly is believed to dispel negativity, enhance intellectual capacity, and bring peace and wisdom into one’s life. The 24 syllables of the mantra are also symbolic of 24 divine qualities or powers, making it a complete and powerful invocation for overall well-being.jai ambe gori pdf – आरती दुर्गा जी की: देवी माँ की शक्ति और कृपा का गान